Poem Likh Diya Hai Tera Naam

सुबह सबेरे धरती की गोद में
कोसी के तीर पर
मखमल-सी मुलायम दूब के शीर्ष पर
मोतियों-सी चमकती ओस की बूँदों पर
लिख दिया है मैंने तुम्हारा नाम !

किशोर कल्पनाओं की पर्वतीय चोटियों पर
मोरपंखी झाड़ियों पर, समुद्री उफानों पर
सरगम के तरानों पर
चितेरे बादलों की कूचियों पर
विस्तृत नीले आकाश के कैनवास पर
लिख दिया है मैंने तुम्हारा नाम !

कोसी के कछार में
मछली की टोह में जमी
बगुलों की ध्यानमुद्रा पर
शैवाल जाल से छनकर आती
पतली जलधारा पर
लिख दिया है मैंने तुम्हारा नाम !

नदी किनारे झुके
बरगद की डालियों पर
कोमल-कठोर टहनियों पर
चिड़ियों की बहुरंगी पांखों पर
उनके अनुराग भरे कलरव पर
लिख दिया है मैंने तुम्हारा नाम !

कोसी के एकांत तट पर
धधकती चिता से निकलकर
धुएँ को चीरती हुई
ऊपर उठ रही नीली-पीली लपटें
जो राहें बनाती हैं – सजीले बादलों तक…
काँप रहे हाथों से उन राहों पर भी
लिख दिया है मैंने तुम्हारा नाम !
अपने नाम के साथ……..!!

*** डॉ.मधेपुरी की कविता ***